कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते मरीजों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। इसके चलते देश के कई राज्यों में लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते न केवल मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि रिकवरी रेट भी कम हुई है।
इस वायरस से बड़े तो बड़े, बच्चे भी शिकार हो रहे हैं। इसके लिए पहली बार स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की है। आइए जानते हैं-
- संक्रमित बच्चे में गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक बहना और सांस लेने में तकलीफ आदि हल्के लक्षण देखे जा सकते हैं। कई बच्चों में पेट संबंधी विकार हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में होम आइसोलेशन के जरिए इलाज किया जा सकता है।
विशेषज्ञों की मानें तो 90 से 100 के बीच के ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल हेल्दी होता है। इसके लिए 90 से ऊपर ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल वाले संक्रमित बच्चे को मॉडरेट कैटेगरी में रखने की सलाह दी है। इस स्थिति में बच्चों को फ्लू भी हो सकता है।
-डॉक्टर बच्चों को बुखार आने पर पैरासिटामोल लेने की सलाह देते हैं। इसके लिए बच्चे को पैरासिटामोल (10-15 मिलीग्राम/ किग्रा/खुराक) को हर चार घंटे पर दे सकते हैं।
-गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में डाइट मौसमी फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें। इससे शरीर हायड्रेट रहेगा।
-कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखने पर बच्चों को एंटीबायोटिक्स न देने की सलाह दी गई। विशेष परिस्थिति में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही एंटीबायोटिक्स दें।
-कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते मरीज और देखभाल करने वाले के लिए एन-95 मास्क अनिवार्य कर दिया गया है।
- कोरोना संक्रमित बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति को चार घंटे का मेडिकल कंडीशन चार्ट बनाना होगा।
-गले में खराश और सुखी खासी होने पर गुनगुना गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारा करने के लिए दें।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।