मधुमेह के रोगियों की संख्या में वृद्धि जारी है। मधुमेह की जटिलताओं से गुर्दे, तंत्रिका, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य स्तर पर रखकर मधुमेह की जटिलताओं को रोका जा सकता है। इस अध्ययन का उद्देश्य ग्लूकोज और कुल कोलेस्ट्रॉल प्लाज्मा स्तर को कम करने और डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों की एंटीऑक्सीडेंट स्थिति बढ़ाने के लिए कबूतर मटर पेय की क्षमता निर्धारित करना है। यह शोध 18 स्प्रीग डावले नर चूहों का उपयोग करके किया गया था, जिनकी उम्र 3 महीने की उम्र में 154 ग्राम थी।
चूहों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था: सामान्य समूह, डी-एच समूह (डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया समूह), और कबूतर मटर पेय समूह। परिणामों से पता चला कि कबूतर मटर पेय पदार्थ आहार हाइपोग्लाइसेमिक और हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक गतिविधियों को दर्शाता है, और डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों की एंटीऑक्सीडेंट स्थिति में सुधार कर सकता है। प्लाज्मा ग्लूकोज और मधुमेह-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों के कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में क्रमशः 33.86% और 19.78% की कमी हुई। प्लाज्मा एंटीऑक्सिडेंट की स्थिति में सुधार प्लाज्मा एमडीए (malondialdehyde) के स्तर में कमी से संकेत मिलता है, 37.16% तक पहुंच गया। शोध परिणाम मधुमेह विरोधी को डायबिटिक फ़ंक्शनल ड्रिंक के रूप में उपयोग करके मधुमेह प्रबंधन का विकल्प प्रदान करता है।
डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में दवा के साथ परहेज जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज के मरीजों के रक्त में शर्करा स्तर बढ़ जाता है। साथ ही अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना बंद हो जाता है। इसके लिए डायबिटीज के मरीजों को मीठे चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए। इससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लापरवाही बरतने पर यह बीमारी खतरनाक रूप अख्तियार कर लेती है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में अरहर दाल को शामिल कर सकते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
अरहर दाल
देश के सभी हिस्सों में चावल-दाल को बड़े चाव से खाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई अन्य राज्यों में दाल की खपत अधिक है। इन राज्यों में अरहर दाल को प्राथमिकता दी जाती है। लोग अरहर दाल खाना ज्यादा पसंद करते हैं। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में अरहर दाल ही खाई जाती है। इसे अंग्रेजी में pigeon pea कहा जाता है। वहीं, महाराष्ट्र में इसे तूअर दाल कहा जाता है। इस दाल में कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों में फायदेमंद साबित होते हैं। अरहर दाल को प्रोटीन का पावर हाउस कहा जाता है। डॉक्टर हमेशा अरहर दाल खाने की सलाह देते हैं। इसके सेवन से शुगर कंट्रोल में रहता है।
डायबिटीज में फायदेमंद
एक लेख में अरहर दाल पर गहन शोध किया गया है। यह शोध चूहों पर किया गया है। इसमें चूहों की डाइट में अरहर दाल युक्त पेय पदार्थ दिया गया। इसके लिए अरहर दाल को पहले उबाला गया। फिर सुखाकर पाउडर तैयार किया गया। इसके बाद यह चूहों को दिया गया। इसका परिणाम बेहद संतोषजनक प्राप्त हुआ। इस शोध में खुलासा हुआ है कि अरहर दाल डायबिटीज में बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके सेवन से शुगर कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, फैट, डायटरी फाइबर पाया जाता है। डॉक्टर से सलाह लेकर डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट में अरहर दाल को शामिल कर सकते हैं। साथ ही अरहर दाल युक्त ड्रिंक (पेय) का सेवन कर सकते हैं।
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