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शनिवार, 1 मई 2021

कोरोना से बच्चों के बचाव के लिए नई गाइडलाइन्स जारी, इन बातों का रखना होगा ध्यान

 कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते मरीजों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। इसके चलते देश के कई राज्यों में लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू लगा दिया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते न केवल मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि रिकवरी रेट भी कम हुई है।


 इस वायरस से बड़े तो बड़े, बच्चे भी शिकार हो रहे हैं। इसके लिए पहली बार स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के लिए भी गाइडलाइन्स जारी की है। आइए जानते हैं-

- संक्रमित बच्चे में गले में खराश, खांसी, हल्का बुखार, नाक बहना और सांस लेने में तकलीफ आदि हल्के लक्षण देखे जा सकते हैं। कई बच्चों में पेट संबंधी विकार हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में होम आइसोलेशन के जरिए इलाज किया जा सकता है।

विशेषज्ञों की मानें तो 90 से 100 के बीच के ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल हेल्दी होता है। इसके लिए 90 से ऊपर ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल वाले संक्रमित बच्चे को मॉडरेट कैटेगरी में रखने की सलाह दी है। इस स्थिति में बच्चों को फ्लू भी हो सकता  है।

-डॉक्टर बच्चों को बुखार आने पर पैरासिटामोल लेने की सलाह देते हैं। इसके लिए बच्चे को पैरासिटामोल (10-15 मिलीग्राम/ किग्रा/खुराक) को हर चार घंटे पर दे सकते हैं।

-गर्मी के दिनों में डिहाइड्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में डाइट मौसमी फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें। इससे शरीर हायड्रेट रहेगा।

-कोरोना वायरस के हल्के लक्षण दिखने पर बच्चों को एंटीबायोटिक्स न देने की सलाह दी गई। विशेष परिस्थिति में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही एंटीबायोटिक्स दें।

-कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के चलते मरीज और देखभाल करने वाले के लिए एन-95 मास्क अनिवार्य कर दिया गया है।  

- कोरोना संक्रमित बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति को चार घंटे का मेडिकल कंडीशन चार्ट बनाना होगा।

-गले में खराश और सुखी खासी होने पर गुनगुना गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारा करने के लिए दें।

डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन, फॉलो करने वाले ये नियम हैं

कोरोना के रोगियों को होम आइसोलेशन में रखने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गुरुवार यानी 29 अप्रैल को नई गाइडलाइंस की पुष्टि की है। इसके अनुसार, ऐसे रोगी जिनमें कोविद के लक्षण हैं या फिर लक्षण नहीं हैं, वे घर पर ही होम आइसोलेशन में रहें। उनके साथ ही कॉन्टेक्ट में आने वाले लोगों को भी होम क्वारंटाइन में रहना होगा।



 आर्थिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, घर में कोरोना प्रभावशाली व्यक्ति की पूरी देखभाल करनी होगी। इसके साथ ही गंभीर व्यक्ति के परिजनों को लगातार अस्पताल या डॉक्टर्स के संपर्क में रहना होगा। कोरोना के लक्षण सामने आने के कम से कम 10 दिन बाद होम आइसोलेशन को खत्म किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे लगातार तीन दिन तक अगर फीवर न आया हो तब।


नई गाइडलाइन्स की खास बातें:-

होम आइसोलेशन के लिए अनुमतिज जरूरी है

- ऐसे पेशेंट्स जिनको एचआईवी, कैंसर और ट्रांसप्लांट हुआ है।

- जो मरीज 60 साल से ऊपर हैं और कोमार्विड हैं।


परिचय के लिए आवश्यक बातें

1. क्रॉस वेंटिलेशन हो और कमरे की खिड़की खुली हो।

2. पेशेंट हमेशा ट्रिपल लेयर फेस पहनें।

3. मरीज के चेहरे को हर 8 घंटे पर बदलना अनिवार्य है।

4. रोगी को एक कमरे में ही रहना होगा।

5. पूरे घर में घूमने की मनाही होगी।

6. रोगी को घर के बाकी सदस्यों से उचित दूरी बनानी होगी।

7. बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के पास जाने पर पाबंदी।

8. मरीज को दिन में दो बार गुनगुने पानी से गरारा करने और स्टीम लेने की सलाह दी गई है।


लिक्विड डाइट और आराम जरूरी

- होम आइससोलेश में रहने वाले रोगियों को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट में शामिल करना होगा।

- घर पर रहने वालों को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की सलाह दी गई है।

- ब्लड ऑक्सीजन सेचुरेशन को नियंत्रित करने के लिए प्लस ऑक्सीडमीटर का इस्तेमाल करना अनिवार्य है।

- इसके साथ ही रोजाना 4 घंटे पर टेम्परेचर लेना जरूरी है।

बुधवार, 28 अप्रैल 2021

कोरोना काल में सेहतमंद रहने के लिए डाइट में जरूर शामिल करें ये चीजें

कोरोना काल में सेहतमंद रहने के लिए इम्यून सिस्टम का मजबूत रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए सही दिनचर्या, उचित खानपान और पर्याप्त नींद अवश्य लें। इसके अलावा, रोजाना इनडोर वर्कआउट करें। डॉक्टर भी कोरोना वायरस से बचाव के लिए इम्यून सिस्टम मजबूत करने की सलाह देते हैं।

 इससे बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों समेत संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है। अगर आप भी कोरोना काल में स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में इन चीजों को जरूर शामिल करें। इनके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। आइए जानते हैं-


अनानास खाएं:-

सदियों से पाचन तंत्र मजबूत और सूजन को कम करने के लिए अनानास का सेवन किया जाता है। इसमें विटामिन-सी और मैंगनीज प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साथ ही अनानास में कम कैलोरी और डायटरी फाइबर के साथ ब्रोमेलैन अधिक होता है। एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से युक्त अनानास के सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। साथ ही वायरल और बैक्टीरिया संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।


शिमला मिर्च खाएं:-

हरी, पीली और लाल शिमला मिर्च में पानी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन-सी, विटामिन-बी6, बीटा कैरोटीन, थायमिन और फॉलिक एसिड पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। शिमला मिर्च में तकरीबन 94 प्रतिशत पानी होता है। इससे शरीर हायड्रेट रहता है। इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के चलते इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।


आंवला का सेवन करें:-

आंवला को औषधियों का खजाना माना जाता है। सदियों से आयुर्वेद में आंवले को दवा की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एक शोध की मानें तो संतरे की तुलना में एक आंवले में 20 गुणा अधिक विटामिन-सी पाया जाता है। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। साथ ही मेटाबॉलिज़्म बूस्ट होता है। इसके लिए रोजाना आंवला जूस का सेवन जरूर करें। आप चाहे तो आंवले का आचार और चटनी का सेवन कर सकते हैं। 




मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

18+ लोग 1 मई से लगवा सकेंगे टीका, 28 अप्रैल से शुरू हो रहा है रजिस्ट्रेशन, जानें पूरा प्रोसेस

 देश में आगामी एक मई से 18 साल से ज्यादा एज ग्रूप के लोगों का वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्रेशन 28 अप्रैल से शुरू हो रहा है। इस नई व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार ने नई पॉलिसी बनाई है। पात्र सभी भारतीय नागरिक वैक्सीन लगवाने के लिए को-विन एप (Cowin APP) cowin.gov.in या फिर आरोग्य सेतु एप (Aarogya Setu App) पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं पूरा प्रॉसेस की आप कैसे वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।

को-विन पोर्टल के जरिए ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

- को-विन वेबसाइट पर रजिस्टर या साइन-इन पर क्लिक करें।

- अपना मोबाइल नंबर डालें और फिर गेट ओटीपी पर क्लिक करें। ओटीपी डालकर वैरीफाई पर क्लिक करें।

- इसके बाद 'रजिस्टर फॉर वैक्सीनेशन' पेज में अपने फोटो आईडी प्रूफ के साथ अपनी जानकारी दर्ज करें। 

- रजिस्ट्रेशन करने के बाद आपको अपॉइंटमेंट शेड्यूल करने का ऑप्शन मिलेगा। शेड्यूल बटन पर क्लिक करें।

- अपना पिन कोड दर्ज करें और फिर सर्च पर क्लिक करें। इसके बाद उस पिन कोड के साथ जोड़े गए सेंटर आपको दिखाई देने लगेंगे।

- आप डेट और टाइम सिलेक्ट कर के कंफर्म पर क्लिक कर दें।

नोटः एक यूजर एक लॉगिन से चार मेंबर्स को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर कर सकता है और आसानी से अपॉइंटमेंट को रिशेड्यूल भी कर सकता है।

आरोग्य सेतु एप से भी रजिस्ट्रेशन

- सबसे पहले आरोग्य सेतु ऐप को ओपन करें और फिर होम स्क्रीन पर दिए गए कोविन टैब पर क्लिक करें।

- वैक्सीनेशन रजिस्ट्रेशन को सिलेक्ट करें और फिर अपना फोन नंबर एंटर करें। आपको एक ओटीपी प्राप्त होगा और उससे खुद को वैरिफाई कर सकते हैं।

- 'रजिस्टर फॉर वैक्सीनेशन' खुलेगा, जहां अपनी सभी जानकारी देने के बाद आप 'रजिस्टर' पर क्लिक करें।

- रजिस्टर करने के बाद आपको अपॉइंटमेंट को शेड्यूल करने का ऑप्शन मिलेगा। नाम के बगल में दिए 'रजिस्टर' बटन पर क्लिक करें।

- अपना पिन कोड डालें और सर्च पर क्लिक करें। ऐसा करने के बाद आपको सेंटर्स दिखाई देंगे।

- आप डेट-टाइम को सिलेक्ट कर के कंफर्म पर क्लिक करें। ऐसा करने के बाद आपका अपॉइंटमेंट बुक हो जाएगा।

शुगर कंट्रोल करने के लिए डाइट में जरूर शामिल करें अरहर की दाल


मधुमेह के रोगियों की संख्या में वृद्धि जारी है। मधुमेह की जटिलताओं से गुर्दे, तंत्रिका, हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य स्तर पर रखकर मधुमेह की जटिलताओं को रोका जा सकता है। इस अध्ययन का उद्देश्य ग्लूकोज और कुल कोलेस्ट्रॉल प्लाज्मा स्तर को कम करने और डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों की एंटीऑक्सीडेंट स्थिति बढ़ाने के लिए कबूतर मटर पेय की क्षमता निर्धारित करना है। यह शोध 18 स्प्रीग डावले नर चूहों का उपयोग करके किया गया था, जिनकी उम्र 3 महीने की उम्र में 154 ग्राम थी।

 चूहों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था: सामान्य समूह, डी-एच समूह (डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया समूह), और कबूतर मटर पेय समूह। परिणामों से पता चला कि कबूतर मटर पेय पदार्थ आहार हाइपोग्लाइसेमिक और हाइपोकोलेस्टेरोलेमिक गतिविधियों को दर्शाता है, और डायबिटिक-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों की एंटीऑक्सीडेंट स्थिति में सुधार कर सकता है। प्लाज्मा ग्लूकोज और मधुमेह-हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया चूहों के कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में क्रमशः 33.86% और 19.78% की कमी हुई। प्लाज्मा एंटीऑक्सिडेंट की स्थिति में सुधार प्लाज्मा एमडीए (malondialdehyde) के स्तर में कमी से संकेत मिलता है, 37.16% तक पहुंच गया। शोध परिणाम मधुमेह विरोधी को डायबिटिक फ़ंक्शनल ड्रिंक के रूप में उपयोग करके मधुमेह प्रबंधन का विकल्प प्रदान करता है।

डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में दवा के साथ परहेज जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज के मरीजों के रक्त में शर्करा स्तर बढ़ जाता है। साथ ही अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना बंद हो जाता है। इसके लिए डायबिटीज के मरीजों को मीठे चीजों से दूरी बनाए रखना चाहिए। इससे शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लापरवाही बरतने पर यह बीमारी खतरनाक रूप अख्तियार कर लेती है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और ब्लड शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो अपनी डाइट में अरहर दाल को शामिल कर सकते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

अरहर दाल

देश के सभी हिस्सों में चावल-दाल को बड़े चाव से खाया जाता है। खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई अन्य राज्यों में दाल की खपत अधिक है। इन राज्यों में अरहर दाल को प्राथमिकता दी जाती है। लोग अरहर दाल खाना ज्यादा पसंद करते हैं। उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में अरहर दाल ही खाई जाती है। इसे अंग्रेजी में  pigeon pea कहा जाता है। वहीं, महाराष्ट्र में इसे तूअर दाल कहा जाता है। इस दाल में कई आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों में फायदेमंद साबित होते हैं। अरहर दाल को प्रोटीन का पावर हाउस कहा जाता है। डॉक्टर हमेशा अरहर दाल खाने की सलाह देते हैं। इसके सेवन से शुगर कंट्रोल में रहता है।

डायबिटीज में फायदेमंद

 एक लेख में अरहर दाल पर गहन शोध किया गया है। यह शोध चूहों पर किया गया है। इसमें चूहों की डाइट में अरहर दाल युक्त पेय पदार्थ दिया गया। इसके लिए अरहर दाल को पहले उबाला गया। फिर सुखाकर पाउडर तैयार किया गया। इसके बाद यह चूहों को दिया गया। इसका परिणाम बेहद संतोषजनक प्राप्त हुआ। इस शोध में खुलासा हुआ है कि अरहर दाल डायबिटीज में बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके सेवन से शुगर कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, फैट, डायटरी फाइबर पाया जाता है। डॉक्टर से सलाह लेकर डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट में अरहर दाल को शामिल कर सकते हैं। साथ ही अरहर दाल युक्त ड्रिंक (पेय) का सेवन कर सकते हैं।    

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

कोरोना रोगियों का ऑक्सीजन लेवल सुधारने में मदद कर सकता है प्रोनिंग प्रक्रिया

देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। बड़ी संख्या में कोरोना के रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है, लेकिन देशभर में ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण कई रोगियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सांस लेने में जिन मरीजों को तकलीफ हो रही है, उनके लिए प्रोनिंग के कुछ आसान तरीके बताए हैं। प्रोनिंग प्रक्रिया से कोरोना के रोगियों को अपना ऑक्सीजन लेवल सुधारने में काफी मदद मिल सकती है। विशेष रूप से वे रोगी, जो होम आइसोलेशन में बने हुए हैं। प्रोनिंग किसी भी मरीज को पीठ घुमाने की सटीक व सुरक्षित तरीके से पेट के बल लाने की प्रक्रिया है, जिससे चेहरे नीचे की तरफ कर लेटने की मुद्रा में रहे।


क्या होता है प्रोनिंग?

- प्रोनिंग एक तरह की प्रक्रिया है जिससे रोगी खुद ऑक्सीजन लेवल खुद ही मेनटेन कर सकता है।

- प्रोन पोजीशन ऑक्सीजनेशन तकनीक 80 परसेंट तक प्रभावी है।

- यह प्रक्रिया मेडिकलीटेबल है, इसे पेट के बल लेके पूरी तरह से होता है।

- इसमें सांस लेने में सुधार होता है और ऑक्सीजन लेवल में पूरक मिलता है।


कब करें यह प्रक्रिया

- इस प्रक्रिया को तब तबाना है जब कोरोना मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही हो और ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो जाए।

- अगर आप होम आइसोलेशन में हैं तो समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।

- फिट, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर भी समय-मय पर मापते रहें।

- समय पर सही प्रक्रिया के साथ प्रोनिंग में कई लोगों की जान बचाने में मददगार है।


कैसे करें:-

प्रोनिंग प्रक्रिया के लिए रोगी को पेट के बल लिटा दें।

गर्दन के नीचे एक तकिया रखें फिर एक या दो तकिए छाती और पेट के नीचे बराबर रखें और दो तक पैर के पंजे के नीचे रखें।

30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक इस पोजिशन में लेटे रहने से मरीज को फायदा मिलता है।

ध्यान रहे हर 30 मिनट से दो घंटे में मरीज के लेटने के पोजिशन को बदलना जरूरी है।


इसके बाद मरीज को


नहीं गिरता ऑक्सीजन लेवल


- इस प्रक्रिया में फेफड़े में खून का संचार अच्छा होने लगता है।


- फेफड़ों में मौजूद तरल पदार्थ इधर-अधर होने का लगता है।


- इससे लंग्स में ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती रहती है।

- ऑक्सीजन का लेवल भी नहीं गिरता है।


जब न करें प्रोनिंग


- खाना खाने के तुरंत बाद ही प्रोनिंग की प्रक्रिया न करें।


- खाना खाने के कम से कम एक घंटे बाद ही इस प्रक्रिया को अपनाएं।


- अगर आप प्रेग्नेंट हैं, गंभीर कॉर्डिएकिन है तो भी इसे मत करें।


- शरीर में स्पाइनल से जुड़ी कोई समस्या नहीं है या फ्रैक्चर हो तो इस प्रक्रिया को न अपनाएं।

रविवार, 25 अप्रैल 2021

थाइराइड को कंट्रोल करने के लिए डाइट में शामिल करें

थायराइड सामान्य समस्या है। यह बीमारी थायराइड हार्मोन के अधिक निकलने के चलते होती है। थायराइड ग्रंथि गर्दन के अंदर तितली की आकार में होती है। इस ग्रंथि को अवटु ग्रंथि कहा जाता है। इस ग्रंथि से दो तरह का हार्मोन निकलता है। जब ग्रंथि से कम अथवा अधिक हार्मोन निकलने लगता है, तो थायराइड की समस्या होती है। थायराइड पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। यह एक आनुवांशिकी रोग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रहती है। विशेषज्ञों की मानें तो संतुलित आहार, रोजाना एक्सरसाइज, तनाव को दूर और आयोडीन का सेवन कर थायराइड को कंट्रोल किया जा सकता है। अगर आप भी थायराइड के मरीज हैं और थायराइड को कंट्रोल करने के लिए अपनी डाइट में इन चीजों को जरूर शामिल करें-

केसर:-

थायराइड को कंट्रोल करने के लिए केसर का सेवन जरूर करें। इसमें एमिनो एसिड पाया जाता है, जो थायराइड के लिए फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए रात में सोने से पहले केसर को भिगोकर रख दें। अगली सुबह केसर का सेवन करें। आप चाहे तो केसर दूध का भी सेवन कर सकते हैं। इससे मूड स्विंग का खतरा भी कम हो जाता है।  

केला:-

अगर आप थायराइड के मरीज हैं, तो रोजाना केले का सेवन करें। आप चाहे तो सांभर, करी, रायता और सब्जी में केले का यूज कर सकते हैं। इसमें आयोडीन पाया जाता है, जो थायराइड में फायदेमंद होता है। इसके अलावा, आम और कटहल (मौसमी फलों) का सेवन करें।

चना:-

दक्षिण भारत समेत छत्तीसगढ़ और बिहार में चना की खेती की जाती है। इसके दाल का यूज खाने में किया जाता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, जिंक पाया जाता है, जो थायराइड को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है। सप्ताह में दो बार चने का सेवन कर सकते हैं।


फैटी फिश:-

फैटी फिश यानी तैलीय मछली में उच्च मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें आयोडीन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेटिव, एंटी-कार्सिनोजेनिक के गुण पाए जाते हैं। ये गुण मस्तिष्क को सभी प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। इसके लिए साल्मन, टूना, हेररिंग्स मछलियों का सेवन कर सकते हैं।


शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

डायबिटीज के मरीज ऐसे करें जौ का सेवन, तेजी से कंट्रोल होगा शुगर

 



डायबिटीज के मरीजों की संख्या में बड़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। विश्व मधुमेह संघ की मानें तो भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, जो ज़िंदगीभर साथ में रहती है। इस बीमारी में व्यक्ति को अपनी खानपान पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। लापरवाही बरतने पर कई अन्य बीमारियां दस्तक देती हैं। इसके लिए डायबिटीज के मरीजों को सही दिनचर्या, उचित खानपान और रोजाना वर्कआउट करना चाहिए। साथ ही चीनी से परहेज करना चाहिए। अगर आप भी डायबिटीज के मरीज हैं और शुगर कंट्रोल करना चाहते हैं, तो डाइट में जौ को जरूर शामिल करें। इसके सेवन से शुगर कंट्रोल में रहता है। 

कई शोध में इसका खुलासा हो चुका है कि जौ डायबिटीज और मोटापा के मरीजों के लिए दवा समान होता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं- की एक शोध में जौ के फायदे को बताया गया है। यह शोध इंसानों पर किया गया था। इस शोध में 20 लोगों को शामिल किया गया था, जिन्हें दो वर्गों में बांटा गया था। इस शोध में शामिल एक टीम के लोगों को जौ की दलिया एक महीने तक डाइट में खाने की सलाह दी गई। एक महीने बाद ब्लड शुगर की जांच गई। इस शोध में पाया गया कि जौ के सेवन से शुगर स्तर कम हुआ।
 आप चाहे तो जौ पानी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए जौ को पानी में उबाल लें। इसके बाद पानी (ठंडा) को छानकर पी सकते हैं। इसके सेवन से भी ब्लड शुगर में सुधार होता है।
पर छपी एक लेख के अनुसार, जौ में बीटा-ग्लूकेन, फाइबर और फाइटोस्टेरोल्स जैसे महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं, जो वजन कम करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बीटा-ग्लूकेन क्रेविंग से निजात दिलाता है। वहीं, फाइबर से पेट हमेशा भरा रहता है। इससे भूख कम लगती है। इसके लिए मोटापे से परेशान व्यक्ति जो को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

कोरोनावाइरस: आयुर्वेद में इससे सुरक्षा के हैं उपाय !

 कोरोना वायरस को सफलता पूर्वक शरीर से खत्म करने का उपाय आज भी आयुर्वेद के पास है. इसे प्राप्त करने के लिए हमें बाहर नहीं जाना है, बल्कि हमारे आसपास ही आयुर्वेदिक औषधि उपलब्ध है. सही जानकारी के दम पर हम अपने शरीर के रोग निरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं. 

कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रकृति के पास पर्याप्त औषधि

उन्होंने बताया कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रकृति के पास पर्याप्त औषधि है. इसका प्रयोग कर हम पूरी दुनिया को बचा सकते हैं. आज भी आयुर्वेद हमारे यहां चिकित्सा प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन पद्धति है. आयुर्वेद के बताये अनुशासन का पालन कर हम खुद के शरीर को मजबूत कर सकते है. ऐसे में अब हर हाल में प्रकृति की ओर लौटना होगा. कोरोना वायरस श्वास रोग है. इसकी वजह कफ को बताया जाता है. कफ इससे गाढ़ा हो जाता है, जिससे रोगी का सांस लेने में परेशानी हो जाती है. कफ से जुड़े रोग को खत्म करने के लिए आयुर्वेद में कई औषधि है. ऐसे में हमें इलाज आरंभ करने से पहले बीमारी को जानना होगा.

ये करें उपाय

-प्रतिदिन एक ग्लास गर्म दूध में हल्दी देकर सेवन करें


-सोंठ के चूर्ण का प्रयोग भोजन में करें.


-दही व लस्सी का सेवन नहीं करें.


-घर में गुगुल, कपूर, लौंग व चंदन का चूर्ण जलायें


-किसमिस या मुनक्का के काढ़े का सेवन करें.


-रोजाना योग व कसरत करें


-हल्दी, जीरा, धनिया, लहसुन का सेवन करें.


दूध में इसका करें इस्तेमाल:


-प्रतिदिन च्यवनप्राश 10 ग्राम सुबह गर्म पानी या दूध के साथ लें.


-मधुमेह रोगी शुगर फ्री च्यवनप्राश का प्रयोग करें.

-एक गिलास दूध में तुलसी पत्ता, काली मिर्च, अदरक व हल्दी का चूर्ण मिलाकर सेवन करें.


-शिलाजीत एक चम्मच एक गिलास दूध या पानी के साथ लें.


-अभ्रक भस्म यानी सहपुटी, एक ग्राम मधु या मलाई के साथ लेकर एक गिलास गर्म दूध का सेवन करें.


-मुलेठी चूर्ण एक ग्राम गर्म दूध के साथ लें.


-दूध कफ वर्धक होता है. गाय या बकरी के दूध में कफ नासक पदार्थ को मिलाकर प्रयोग करें. इसमें हल्दी, सौंठ, दालचीनी, पिप्पली का चूर्ण मिला दें, तो और बेहतर हो जायेगा.

शरीर का रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने में ये है सहायक:

-रोग से बचना है, तो फल का करें सेवन


-अश्वगंधा, सतवार, कालमेघ, नीम व हल्दी का प्रयोग करें.


-हर्बल चाय, तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च, सौंठ का काढ़ा, किसमिस का काढ़ा और ताजी नींबू का जूस व मधु का सेवन करें.


-प्रतिदिन एक ग्लास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी का चूर्ण डाल पी लें.


-प्रतिदिन नाक में नारियल या सरसों का तेल अन्यथा घी के दो-दो बूंद लें


-प्रतिदिन व्यायाम रोज करें. फेफड़े का क्षमता बढ़ाने वाला योग अवश्य करें.


-आंवला का प्रयोग अपने भोजन में किसी रूप में करें.

इन चीजों से बढ़ता है शरीर में कफ:

अंडा, मांस, दही लस्सी, मछली, पनीर, प्याज, मशरूम, केला संतरा, उड़द दाल, चना दाल, शकरकंद समेत कई और चीजें.

इसे सेवन करने से कफ होता है कम:

अदरक, हल्दी, तुलसी, काली मिर्च, शिलाजीत, मुलेहठी, आमलक रसायन, जौ की रोटी, मूंग का दाल, सेंधा नमक, नारियल का पानी.


मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

मीठा खाने की इच्छा को शांत करने के लिए इन टिप्स एंड ट्रिक्स की लें मदद

शुगर रश क्या है?

शुगर रश एक मिथ है। अगर आपको मीठा खाने की तीव्र इच्छा हो रही है और आपकी एनर्जी लो हो रही है तो इसे शुगर रश कहेंगे। एनर्जी लो हो रही है तो कुछ मीठा खाएं, पर वह भी हेल्दी होना चाहिए, जैसे फल या नट्स से इस कमी को पूरा करें।

ज्यादातर लोगों को मीठी चीज़ें पसंद होती हैं। चाय, कॉफी, मिठाई, चॉकलेट, आइसक्रीम किसी न किसी रूप में चीनी का सेवन करते रहते हैं ये जानते हुए भी कि शुगर सेहत के लिए कितना अनहेल्दी होता है फिर भी। एक्सपर्ट की मानें तो महिलाओं को दिनभर में 6 टीस्पून, वहीं पुरुषों को 9 टीस्पून चीनी तक खाने की सलाह दी जाती है। तो ऐसे में बार-बार होने वाली शुगर क्रेविंग को कैसे शांत किया जाए, ये जानना जरूरी है।




धीरे-धीरे छोड़े मीठा

1.एकदम स चीनी को छोड़ने के बजाय अपनी डाइट रूटीन में चीनी के ऑप्शंस को चुनें। अगर आप दिन भर की चाय-कॉफी में 3 टीस्पून चीनी का सेवन करते हैं, तो धीरे-धीरे इसे 1 टीस्पून तक लाएं।

2. उन खाद्य पदार्थों के प्री-शुगर्ड ब्रैड्स को स्विच करें, जिनमें एडेड शुगर लिखा हो। उसमें आपको चीनी को मिलाने की जरूरत। नहीं होती। इस तरह आपका चीनी का उपभोग करने पर अधिक नियंत्रण होगा और इससे यह स्पष्ट होगा कि आप चीनी का कितना सेवन कर रहे हैं। दुकानों से लिए गए मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से पूरी तरह बचें।

3. प्रोटीन का सेवन उन लोगों के द्वारा बताई गई एक और ट्रिक है, जो चीनी की आदत को छोड़ने के लिए कारगर है। प्रोटीन आपको लंबे समय तक तृप्त (लंबे समय तक भूख ना लगाना) करने के लिए जाना जाता है, जिससे आपको अचानक भूख लगने की संभावना कम हो जाती है जो आसानी से मिठाई, कैंडी या चॉकलेट द्वारा पूरी की जाती है।

4. शुगर खाने की क्रेविंग हो रही है तो चीकू, अंगूर, आम, केला जैसे फ्रूट्स को डाइट का हिस्सा बनाएं। किशमिश, छुआरे भी इसमें शामिल किए जा सकते हैं। जो मीठे भी होते हैं और कहीं से अनहेल्दी भी नहीं।


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